कोरोना वायरस

अदृश्य दानव घूम रहा, चुपके से वह चूम रहा।
चीनी वुहान में अवतरित, इटली ईरान में झूम रहा।
हैरत है कि शिकार ही शिकारी का सवार है।
बढ़ा रहा अपना आकार, पूरे विश्व में मच गया हाहाकार है।
असर यूँ छोड़ता , घायल भी घायल दिखता नहीं।
और भी हो रहे घायल, पर यह वायरस थकता नहीं।
लाखों हैं शिकार इसके, हज़ारों ने दम तोड़ा है।
पर मनुज है कि इसका साथ अभी तक नहीं छोड़ा है।
रक्त बीज सा यह, खुद खंडित हो- हो कर यहाँ वहाँ गिरता है।
पाकर किसी का हाथ, होकर उसके साथ, चहुँओर फिरता है।
मुश्किल है हराना इसे, मनुज हुआ परेशान आज।
दंग है दुनिया, न जान सका अब तक इसका राज।
उपाय बस एक बचा, दूर रहें, धोते रहें अपना हाथ,
ज़रूरी हो तो निकलें, नमस्ते करें जोड़कर दोनों हाथ।
इसे पकड़ कर दबाया नहीं जा सकता,
पर डर कर भी इसे हराया नहीं जा सकता।
वायरस को जीने के लिए हमारा साथ चाहिए,
और करने को तबाही , हमारा हाथ चाहिए।
हाथ को करें साफ़, यह खुद साफ़ हो जायेगा,
अनुशासन में रहें, इनका इंसाफ़ हो जाएगा।
बनाकर दूरी एक दूजे से अभियान कोरोना रुक जायेगा,
हम साथ नहीं होंगे इनका दम खुद घुट जायेगा।







