पुनर्जन्म

जब भोर हुआ तो अंधेरा था,
दिन हुआ तो बौराया
शाम होते ही घबराया,
रात की आहट पाकर हुआ आहत
दौड़ा भागा और हड़बड़ाया ।

जल्दबाज़ी में क्या हो पाया
जाकर एक मोमबत्ती ले आया,
टूटा घर, और फूटा छत,
रोशनी फिर भी कहाँ हो पाया।

हवा की एक झोंका आया
लौ मोमबत्ती की बुझाया।
अफ़सोस करता मैं,
पुनर्जन्म ले आया।