जीवन में जो बोलना है, बोल दो
गांठे खुल रही हैं तो खोल दो।

चाहते हो कुछ करना
तो करो आज ही शुरुआत।
कब होगा शाम, कब होगी रात।
कर लो अपनी, पूरी मुराद।

दिल में छुपाकर कोई तूफ़ान
आप यूँ न घबराइए
ज़माने से हो आप परेशान
ख़ुद को न यूँ बहलाइए।

जीवन में जो बोलना है, बोल दो
गांठे खुल रही हैं तो खोल दो।

है कोई उपर अगर तो
ध्यान लगाकर बैठा है,
ऑंखें जभी वो खोलता है
बस हाथ उठाकर, एवमस्तु ही कहता है।

कोई स्नेह, प्रेम का भूखा है,
तो कोई लोभी और झूठा है।
कुछ धेले जोड़ने में जुटे हैं।
कुछ ख़ुद से ही रूठे खड़े हैं।

बस हो गया जो प्रस्ताव
एक बार हमारा,
उन्होंने एवमस्तु कह डाला।
सब कुछ, बुरा या भला,
एकदम सच कर डाला।

हर घड़ी को, जी लो बन्दे,
मरना तो तय है।
चाहते क्या हो, कर डालो
तुम्हें किसका भय है।

सेवा में शक्ति है, यह जानकर
अलख जला कर रखें,
फल मिलेगा ही यह मानकर,
भ्रम न पाल कर रखें।

निस्वार्थ है सेवा, शक्ति तभी है,
नेकी है दिल में, भक्ति भी तभी है।

ज़िन्दगी के भाग-दौड़ से
कभी खुद से बाहर भी आओ,
फिर देख सको तो देख लो
अपनी की हालात् आकाओं।

बहाने बहुतेरे हैं,
ख़ुद में पड़े रहने की,
कटे थे उनके पैर, सोचा भी तो क्या सोचा
एवरेस्ट विजय की।

फेंकी गई थी ट्रेन से जीवन फिर मिला था,
पर, एक पैर नक़ली डला था।
अरुणिमा सिन्हा, वह लड़की थी,
पर फ़ैसला न उसका टला था।

वीर हो, आगे बढ़ो,
थक सकते हो, पर हार सकते नहीं।
पर्वत से उँचा हो इरादा तेरा,
कि तुम कभी डर कर भाग सकते नहीं ।

जीत सकते हो तो जीत लो
वर्णा कुछ, सीख लो।
जीवन में जो बोलना है, बोल दो
गांठे खुल रही हैं तो खोल दो।